🎙️"न्यायी" के दोहे🎙️
अति वर्जित है सर्वदा,रहे न रावण कंस ।
"न्यायी" करो अनीति तो,निश्चित है विध्वंस ।।01
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सोच समझ कर कीजिए,सदा बंधुओं काम ।
देखा हाल विकास का,मौत हुआ परिणाम ।।02
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माना बहुत विकास था,क्रिमिनल दहशतगर्द ।
मिला बढ़ावा कहाँ से,खुला न इसका दर्द ।।03
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प्रकरण पर जब देश का,संविधान है मौन ।
फिर इस घटना को भला,यहाँ सुनेगा कौन ??04
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कोर्ट पहुँचने से बहुत,होते खड़े सवाल ?
इनकाउंटर से हुआ,सारा खतम बबाल।।05
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✍️पं०जसकरन लाल शर्मा "न्यायी"
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