वो मिले
तो हमे
नफरतों से भी
प्रेम हो गया
पहले तो
मेहमा बने वो
मेरे दिल के
फिर धीमे धीमे
घर कर लिया
प्यार,गजल, तरन्नुम
बेजान से अल्फाज थे
पास मेरे, उन्हें
अहसासात तो
तुमने दिया
एक दम खाली थे
दिल ओ दिमाग से हम
खुदा ने फिर
आपसे मिलाया
और कुछ इस कदर
तेरे मिलने से मुझे
दिल ओ दिमाग
भी मिल गया
लाख कोशिसे कर ले
दुनिया जीतने की
ज़माने वाले
वो कभी नहीं हारा
लोकहित में जिसका
हृदय परिवर्तन हो गया
चिकनी चुपड़ी बाते
अक्सर ठगने की है
तुम उससे जुड़ना
जो सच कह गया
हिंदू,मुस्लिम,सिख,ईसाई
तो लोग तुम्हे बना ही देंगे
पर शख्सियत वहीं है
सही मायनो में
जो दुश्मनी में भी
मुहब्बत से इंसान रह गया....
©Snehi Uks
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