मौसम की तरह तुम इस तरह से वो अगर अपनी जुल्फें न बिखराते
तो आकाश में ऐसे बादल भी न छाते
सुबह ही शाम न होती अंधेरा भी न होता गर
आंखों में देखकर मेरी वो पलके न झुकाते
@kvjeet
मौसम की तरह तुम मौसम ने बदला अपना अंदाज है।
तेरे होने का फिर दिल को हो रहा एहसास है।
हवाओ का भी रूख अब तेरे साथ है।
कुछ इशारा कह रहा तू आज भी मेरे साथ है।
शायद तुम आने वाले हो ये जान चुके है,
इसलिए मौसम-ए-मिजाज कुछ खास है।
_ _ _ जिज्ञासा
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