गलती थी मेरी
आखिर फिसला ही क्यो
क्यो संभल नही पाया
गिर भी गया तो क्या
गलती की पुकारके उनको
जिनपर विश्वास था
चिल्लाने से पहले जबान क्यो बंद नही कर ली
क्या पता नही, नही आएंगे वो
आखिर काम भी तो थे
वो छोड कर कैसे आता कोई
माना की गिर गया, फिसल गया, डूब गया
क्या इतना भी डर न था
के बचेगा चिल्लाएगा तो पानी हलक से उतर जाएगा
मर भी सकता था
मौत तो होनी थी
न पुकारता तब भी, और पुकारता तब भी
क्योंकि जिन्हें पुकारा वो बडे तैराक थे
भला कैसे आते तुझे बचाने, वो भी वहा छोटे से दलदल मे
गलती उनकी नही
तुम्हारी थी
क्यो गिरे, क्यो नही संभले
कोई ठेका तो नही था ना
जाओ मरो,तुम्हारी बला से
#गिरा_आदमी #झूठी_आस
#Sadharanmanushya
©#maxicandragon
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