बदनसीबों के नसीब में
"দৃশ্য তরঙ্গ"
বাপ্পা দে
এমনও কিছু সম্পর্ক থাকে,
যারা চার'চোখে হয় তৃপ্ত!
মন বিনিময় দৃশ্য তরঙ্গে,
অ'প্রাপ্তির প্রেমেও সম্পৃক্ত!
ভালোবাসি বলা বাতুলতা,
সেতো শৌখিন উদযাপন!
ভালবেসে যাওয়াই পরিপূর্ণতা,
উদার মনের উদ্বোধন!
बदनसीबों के नसीब में आखिर इंसान कमजोरों को ही क्यूँ सताता है। उनके साथ बसों में बैठने से हिचकता है या पास खड़े रहनें पर उससे दूर चला जाता है।
समझ में ही नहीं आता कि वो जिस बेसहारा को इतनी घृणा से देखते हैं उन्हीं के हाथों से बनाये गए खानें को जानवरों की तरह बिना किसी शर्म के खा लेते हैं।
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here