शराब पर शायरी
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#Quotes  गली गली में भटकता है शोर करता हुआ 
हमारे इश्क़ ने सस्ती शराब पी ली है

©sujeet dwivedi(logic)

गली गली में भटकता है शोर करता हुआ हमारे इश्क़ ने सस्ती शराब पी ली है ©sujeet dwivedi(logic)

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#Shayar  लिखते हैं जो किताबें, दिल के सुकून की,
अब एक डिग्री तो कोई, शायर के नाम हो,

वो पढ़ के दात देते हैं, उसके कलाम की,
अब एक डिग्री तो कोई, शायर के नाम हो,

रखते हैं शायरी में जो, दिल खोल के अपना,
अब एक डिग्री तो कोई, शायर के नाम हो,

पढ़ के भुलाए जाते हैं, हर दिन कई वो नाम,
अब एक डिग्री तो कोई, शायर के नाम हो,

लफ्जों के जरिये लेते हैं जो अपना इंतकाम,
अब एक डिग्री तो कोई, शायर के नाम हो,

जो कत्ल भी होते हैं और करते हैं कत्लेआम,
अब एक डिग्री तो कोई, शायर के नाम हो,

महफिल हैं लूटते वो, ले ले के इनका नाम,
अब एक डिग्री तो कोई, शायर के नाम हो,
अब एक डिग्री तो कोई शायर के नाम हो..

©Pankaj Pahwa

#Shayar ke naam degree

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 ग़ज़ल 
नशा  आदमी   को  ग़लाता  रहा  है 
ये कितनों की मैयत  सजाता रहा है 

समय से जो पहले  दिखे  बेटा बूढ़ा 
वो  चिंता  पिता  की  बढ़ाता रहा है 

जो बनना था बेटा बुढ़ापे की  लाठी 
वही  रोज़  पी  लड़खड़ाता  रहा  है

भरी  मांग  जिसने  लिए  सात  फेरे 
वही हमसफर दिल  दुखाता  रहा है

पसीना बहा कर  कमाता  जो  पैसा 
उसे  वो  जुए   में   लुटाता   रहा  है

किए तूने जितने  गुनाह  चोरी चुपके 
खुदा की नज़र  में  तो  आता रहा  है

©Sangeeta Verma

#नशा #ग़ज़ल #शायरी #दर्दभरीशायरी #motivational #एकसबक

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#शायरी  भूला कहाँ हूँ मयक़दे, रह-गुज़र हूँ तिरा
ज़िंदगी से नाराज़ हूँ, हम-सफ़र हूँ तिरा

बिता देता हूँ पल-दर-पल, सोहबती तिरे
इशरतों में जिता हूँ, क्या असर हूँ तिरा

©harf-e-gum

भूला कहाँ हूँ मयक़दे, रह-गुज़र हूँ तिरा ज़िंदगी से नाराज़ हूँ, हम-सफ़र हूँ तिरा बिता देता हूँ पल-दर-पल, सोहबती तिरे इशरतों में जिता हूँ, क्या असर हूँ तिरा ©harf-e-gum

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चढ़ रही है अब शराब भी! दिलो-दिमाग पर साकी उससे ईश्क करके हमने खुद को खो दिया... ©Vivek Sharma Bhardwaj

#Quotes  चढ़ रही है अब शराब भी! दिलो-दिमाग पर साकी 
उससे ईश्क करके हमने खुद को खो दिया...

©Vivek Sharma Bhardwaj

चढ़ रही है अब शराब भी! दिलो-दिमाग पर साकी उससे ईश्क करके हमने खुद को खो दिया... ©Vivek Sharma Bhardwaj

13 Love

उसके बीना ना जाने क्यों, ख़राब सा हो रहा हूं। धीरे धीरे ना जाने क्यों, शराब सा हो रहा हूं। ना मिलके भी सबको मिल जाता हूं क्यों, हौले हौले से गलत, जवाब सा हो रहा हूं। धीरे धीरे ना जाने क्यों, शराब सा हो रहा हूं। - अनीश ©Anish kumar

 उसके बीना ना जाने क्यों,
ख़राब सा हो रहा हूं।
धीरे धीरे ना जाने क्यों,
शराब सा हो रहा हूं।

ना मिलके भी सबको 
मिल जाता हूं क्यों,
हौले हौले से गलत,
जवाब सा हो रहा हूं।

धीरे धीरे ना जाने क्यों,
शराब सा हो रहा हूं।

- अनीश

©Anish kumar

उसके बीना ना जाने क्यों, ख़राब सा हो रहा हूं। धीरे धीरे ना जाने क्यों, शराब सा हो रहा हूं। ना मिलके भी सबको मिल जाता हूं क्यों, हौले हौले से गलत, जवाब सा हो रहा हूं। धीरे धीरे ना जाने क्यों, शराब सा हो रहा हूं। - अनीश ©Anish kumar

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