मित्रता एक भाव है जैसे बरगद के पैड की छांव है
धूंप है सर्दी की ये दरिया में डूबते को मित्रता नांव है
मित्रता भर देती है जीवन में जो तन्हाई का घाव है
जहां सब छोड़ जाते हैं मतलब निकलने के बाद अक्सर
वो जो बेमतलब भी साथ में रहे मित्रता वो एहसास है
मैं गुज़र चुका हूं उस दौर से भी जहां मोहब्बत ने धोखा दे दिया मुझको
बस इतना कहूंगा मोहब्बत भले कभी ना करना मित्रता अवश्य करना मेरा ये सुझाव है
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here