खामोश होकर सुनना मेरे अल्फ़ाज़ 


क्योंकि 

तुम्हे
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खामोश होकर सुनना मेरे अल्फ़ाज़ क्योंकि तुम्हे नहीं , तुम्हारी ख़ामोशी को सुना रहा हूं। जो नहीं आते जुबां पर तुम्हारे वही गीत गुन गुना रहा हूं। तुम इंकार कर दो अपने मन से मुझे मैं तो अपने मन को मना रहा हूं। ©SHIVAM TOMAR "सागर"

 खामोश होकर सुनना मेरे अल्फ़ाज़ 


क्योंकि 

तुम्हे नहीं , तुम्हारी ख़ामोशी को सुना रहा हूं।


जो नहीं आते जुबां पर तुम्हारे वही 


गीत गुन गुना रहा हूं।


तुम इंकार कर दो अपने मन से मुझे 


मैं तो अपने मन को  मना रहा हूं।

©SHIVAM TOMAR "सागर"
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