यादकर कर, दिमाग़ पर ज़ोर डाल कर, मुझे मेरी ग़लतियाँ बताते हो तुम... और कितनी गहरी चोट दोगे तुम? मैं पूर्ण ना कर सकूँ, तुम्हारी उम्मीदें तो, निःसंकोच विदा लेना.
1 Stories
Will restore all stories present before deactivation.
It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here