इबादत-ए-इश्क़ परस्तिश-ए-इश्क़ का इश्राक़ है हर तरफ धड़क रही हैं धड़कने ज़रीफ़ रफ़्तार में दो दिल इस क़दर मिल रहें हैं ज़मीं पर बैचेन फिरदौस भी है इब्तिदा-ए-इश्क़.
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