- लोग आजकल मेरी खामियों गिनाने में लगे हैं,
दूसरों की नजरों में मुझे गिराने में लगे हैं।
खुद को सही और मासूम सा दिखाते हैं आजकल,
अपनों से ही राजनीति की चाल चलाने में लगे हैं।
शायद मेरा ज्यादा अच्छा होना उन्हें अच्छा नहीं लगा,
तभी तो हर महफिल में मेरी इज्जत उछालने में लगे हैं।
सच को सच कहने पर जो बुरा मान जाते हैं,
वे खुद के झूठ के महल बनाने में लगे हैं।
मैं भीड़ का हिस्सा बनने की दौड़ में शामिल नहीं हूँ,
मेरे अकेले चलने के हौसले से लोग घबराने लगे हैं।
मैंने खुद का मुकाम अपनी मेहनत और दम पर बनाया है,
और लोग हैं कि दूसरों के पैसे उड़ाने में लगे हैं।
सपना परिहार ✍️
©Sapna Parihar
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