एक खुली किताब-सी है मेरी जिंदगी , जो छुपाया जा सके वो राज़ कहाँ से लाऊं ? ज़िंदगी को ज़िंदादिली से जिया है मैंने , काँटों का ही सही पर वो ताज कहाँ से लाऊं ? ©So.
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