तुम्हारी हर एक सहमति / या " असहमति " का मैं मान करना जनता हूं,
तुम्हारे घर के मान का स्वाभिमान का भी सम्मान करना जनता हूं,
मैं जानता हूं की तुम्हारा ये प्रेम है किसी पर ये थोपा नहीं जा सकता
इसलिए मैं हर वो पक्ष -विपक्ष और मैं हर वो पहलू का ध्यान करना जनता हूं,
किंतु जितना तुम्हे मैं मानता हूं उतना ही स्वयं को भी पहचानता हूं,
मैं अपने भी स्वाभिमान पर मैं अभिमान करना जनता हूं ,
तुम्हारी स्वीकृति - अस्वीकृति का तुमको पूर्णतः का ये अधिकार है ,
पर यु गिड़गिड़ाकर के मेरा प्रेम पाना कभी भी मुझे यु स्वीकार नहीं है ,
यदि तुम्हे प्रेम हो तो , पूर्ण हो परिपूर्ण हो , सम्पूर्ण हो
यदि भीख में मिले प्रेम तो प्रेम पर भी धिक्कार है ...🥀
©बेजुबान शायर shivkumar
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here