मैं साँसों को थामे रखता हूँ तू रगों में बहती जाती है जितना दूर जाना चाहता हूँ तू उतनी ही करीब आ जाती है मेरी आँखों में बसी है तू पर रोने से भी कहां निकल पाती ह.
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