दिल को मेरे यार की चाहत नहीं मिली, अपनों को अपनों से राहत नहीं मिली। सूख कर पत्ते शज़र से जो गिर गए, डाल से टूटे जो इज्ज़त नहीं मिली। ©अनिल कसेर "उजाला" पत्त.
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