दुविधा में हु सुबिधा नहीं चाहिए अशांत हूं क्षणिक शांति नहीं चाहिए वेदना में तड़पी हु अब बैराग्य चाहिए मोह से मुक्त हो,शिव का सानिध्य चाहिए.
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