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"हम पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान भरते हैं, मंजिलें मुश्किल हो, उन्हीं तक हम पहुंचते हैं। राहों की धुंध में भी, हम उजाले बनते हैं, हम वो हैं, जो तूफानों में भी, राह अपनी खुद बनते हैं।" ©नवनीत ठाकुर

#कविता  "हम पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान भरते हैं,
मंजिलें मुश्किल हो, उन्हीं तक हम पहुंचते हैं।
राहों की धुंध में भी, हम उजाले बनते हैं,
हम वो हैं, जो तूफानों में भी, राह अपनी खुद बनते हैं।"

©नवनीत ठाकुर

हम पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान भरते हैं, मंजिलें मुश्किल हो, उन्हीं तक हम पहुंचते हैं। राहों की धुंध में भी, हम उजाले बनते हैं, हम वो हैं, जो तूफानों में भी, राह अपनी खुद बनते हैं।

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