लफ़्ज़ों के ये नगीने तो निकले कमाल के ग़ज़लों ने ख़ुद पहन लिए ज़ेवर ख़याल के ऐसा न हो गुनाह की दलदल में जा फंसू ऐ मेरी आरज़ू मुझे ले चल संभाल के' ©Md Asfaq.
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