जे सन बाँधी डोर मोह की, इक दिन छोड़के जाय.. जा पर तेणे करो भरोसो, ओ ही दग़ा दे जाय.. लाख मनाये मानत नइहाँ कौन तोह समझाय.. जगत में आपण कौउ ना भाय.. नारी सुत पर.
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