पता नहीं क्यों पता नहीं क्यों ये कंगन-चूड़ी,साज-श्रृंगार मुझे क्यों न भाते हैं पता नहीं क्यों ये मेरे ही रस्ते सबसे अलग क्यों जाते हैं लड़कों की तरह बस वाॅच और.
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