अल्फ़ाज ये महोब्ब्त के गलियारों में गूँजते हैं l तन्हाईयोँ में भी हम तेरे लिए सकुन दूँद्ते हैं l प्रेम दो जिस्मों की चाहत नहीँ वो है अनुभूति हम सिर्फ एक दुस.
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