प्रेम भी डूबी एक स्त्री चाहे ना कुछ और है
हो जाय ज
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 प्रेम भी डूबी एक स्त्री चाहे ना कुछ और है
हो जाय जो प्रेम उसे 
चाहे फिर ना कुछ और है
चाहे अपने प्रेमी का बस प्यार भरा साथ है
जब हो जाय वो प्रेम दीवानी
सौप देती है अपना सब कुछ है
तन और मन ही नही 
 रूह तक से हो जाती उस प्रेमी की है

 इसलिए कहते है:
जो एक बार भी आये ख्याल उसे छोड़ने का 
यकीन और गुरुर उसका तोड़ने का
सोचना कई दफा फिर 
क्यूकी है प्रेम में डूबी स्त्री राधा तो
खो कर अपने यकीन को 
वो बन सकती काली भी है

©Neel.

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