ख़ुद ही प्यासे हैं समन्दर तो फ़क़त नाम के हैं,
भूल
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ख़ुद ही प्यासे हैं समन्दर तो फ़क़त नाम के हैं, भूल जाओ कि बड़े लोग किसी काम के हैं, दस्तकें ख़ास उसी वक़्त में देता है कोई, चार छह पल जो मेरे उम्र में आराम के हैं,  शायरी, चाय, तेरी याद और तन्हाई बस यही चार तलब रोज़ मेरे शाम के हैं..! ©Asad_Poetry_25

#चाय #Tea  ख़ुद ही प्यासे हैं समन्दर तो फ़क़त नाम के हैं,
भूल जाओ कि बड़े लोग किसी काम के हैं,

दस्तकें ख़ास उसी वक़्त में देता है कोई, 
चार छह पल जो मेरे उम्र में आराम के हैं,

 शायरी, चाय, तेरी याद और तन्हाई
बस यही चार तलब रोज़ मेरे शाम के हैं..!

©Asad_Poetry_25

#चाय #Tea

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