मुसलसल मेरे ज़ख़्मों पर यूंही नमक मलने की गंदी सी लत पड़ चुकी है साहिब-ए-मसनद को पर वो आज-कल करने लगे है बातें मरहम की और घबराने लगे है देख ज़ख़्मों के हर कद को.
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