रोज़ाना मोहब्बत में कलम चलाना, आज से मेरा इक कारोबार बन गया........ सुबह-ओ-शाम उसके दीदार का, अब जाने क्यों मैं तलबगार बन गया........ जिसकी नज़रों में इक ज़माने मे.
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