हुस्न, अदा, नज़ाकत, क्या कुछ नहीं है, मासूमियत और शरारत क्या कुछ नहीं है, मुहब्बत का तो मालूम नहीं हमको, प्रिए! तुम्हें देखने की आदत, क्या कुछ नहीं है। ©RA.
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