गुनगुनाना तो हमने भी चाहा था, मकर तकदीर ने हमसे वो सुख भी छीन लिया। मगर.... अब तो न बोल बचे है न गीत, जिसे कभी हम गुनगुनाया करते थे। ©Heer.
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