मुक्तक मुंह पे चिकनी चुपड़ी बातें पीछे नमक मिर्च के घोल, सत्य वचन ठीक है लेकिन अनुचित कभी नहीं बोल, अंतस् भी नहीं हो पीड़ित रीते नहीं मन का पोर .
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