मिलने की खुशी
बिछड़ने के गम में तब्दील हो गया,
जब उसने कहा
कि अब हमारे बीच सब कुछ खत्म हो गया....
कुछ समझ ही ना पाया
कि एक पल में क्या से क्या हो गया,
देखते ही देखते
मैं उसके लिए अजनबी हो गया,
उस पाल तो बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला मैंने
पर अफसोस की उस रिश्ते को ना संभाल सका,
तमाम कोशिशों के बावजूद भी,
ना उसे पा सका,
ना ही उसे भुला सका......
खैर,उस दिन जो वो कतरा आंखों से बहते बहते बह ना सका,
मैं खामोश खड़ा सुनता रहा उसकी बातें कुछ कह ना सका,
आज वही कतरा समंदर हो चुका है,
नमी होते हुए भी यह दिल बंजर हो चुका है,
एहसासों में सिवा उसके अभी कोई उभरता नहीं.....
मैं लाख कहीं दिल लगा लूं
पर यह दिल कहीं लगता नहीं.....
वह मंजर आज भी मेरी निगाहों में कैद है,
वह आज भी मेरी निगाहों से हटता नहीं.....
मैं सोचता था,
कि वक्त के हिसाब से हर जख्म भर जाते हैं
पर जाने क्यों यह जख्म भरता नहीं....
लगता है मैं ही गलत था ,
जो सोचता था की जीते जी कोई मरता नहीं.....
©BIKASH SINGH
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