यारों क्यों कहती है दुनिया कलमयुग को कलयुग सामान समझी जाने वाली अब मंचों का सम्मान है.. करबद्ध कलम! ताकतवर है, चमकती तलवारों से गरीमामयी उपस्थिति से ही जिंदा.
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