न जाने कितने जरिये थे पर मुझ तक आना ही नही था उसे न जाने कितना चाहा मैने उस चाहत का एहसास ही नही था उसे मैं नींद में भी उसका नाम लेती हुँ मेरा नाम कभी याद ह.
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