न उड़ने को रही अब ख्वाहिशें,न बिखरने को रहे अब पर।
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#nojotohindi  न उड़ने को रही अब ख्वाहिशें,न बिखरने को रहे अब पर।
ज़मीन पर आ गिरे हैं, आसमानों में थे जिन परिंदों के कभी घर।

©Vishal Bangotra

न उड़ने को रही अब ख्वाहिशें,न बिखरने को रहे अब पर। ज़मीन पर आ गिरे हैं, आसमानों में थे जिन परिंदों के कभी घर। #nojotohindi

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