जब कभी मैं,
आऊँ तुम्हारे पास,
अपने कंधे से
दूसरे ब
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जब कभी मैं, आऊँ तुम्हारे पास, अपने कंधे से दूसरे बोझ हटा देना l देना अपने कंधे का सहारा, मेरा सुकून में आशियाना बना देना, कुछ पूछना नहीं, ना कुछ बताना, उन खामोश लम्हों को, कर बंद आँखें बिताना l जतना अपनी मोह्हबत तो, अपने हाथों से मेरे सर सहलाना, फिर छेड़ना कोई किस्सा, और अपना हाल बताना l मैं सब बाँट लूँगी तुम्हारा ग़म, बस मेरा सुकुन तुमसे है, अपने कांधे से, मेरा सिर ना हटाना l ©Samarpan_Purti

#Quotes  जब कभी मैं,
आऊँ तुम्हारे पास,
अपने कंधे से
दूसरे बोझ हटा देना l

देना अपने कंधे का सहारा,
मेरा सुकून में आशियाना बना देना,
कुछ पूछना नहीं, ना कुछ बताना,
उन खामोश लम्हों को,
कर बंद आँखें बिताना l

जतना अपनी मोह्हबत तो,
अपने हाथों से मेरे सर सहलाना,
फिर छेड़ना कोई किस्सा,
और अपना हाल बताना l

मैं सब बाँट लूँगी तुम्हारा ग़म,
बस मेरा सुकुन तुमसे है,
अपने कांधे से, मेरा सिर ना हटाना l

©Samarpan_Purti

जब कभी मैं, आऊँ तुम्हारे पास, अपने कंधे से दूसरे बोझ हटा देना l देना अपने कंधे का सहारा, मेरा सुकून में आशियाना बना देना, कुछ पूछना नहीं, ना कुछ बताना, उन खामोश लम्हों को, कर बंद आँखें बिताना l जतना अपनी मोह्हबत तो, अपने हाथों से मेरे सर सहलाना, फिर छेड़ना कोई किस्सा, और अपना हाल बताना l मैं सब बाँट लूँगी तुम्हारा ग़म, बस मेरा सुकुन तुमसे है, अपने कांधे से, मेरा सिर ना हटाना l ©Samarpan_Purti

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