इस कारे-जहाँ में इंसान को उन बातों के लिए भी जवाब-दाह होना पड़ता है जो उसके इख्तियार में ही नहीं होती, जैसे! चेहरा, रंगत, बदन, क़द क़ामत वगैरा, ओर सीरत व किरदार जै.
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