ना फूल रही ना फुलवारी ना माली की फटकार न क्यारियों की गीली मिट्टी रही ना मिट्टी में सने हाथ और ना ही वह भौरों का रेल है मैंने तितलियों को सड़कों पर भटकते देखा.
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