धरती के इस छोर से उस छोर तक मुट्ठी -भर सवाल लिये मैं दौड़ती-हांफती-भागती तलाश रही हूं सदियों से निरन्तर अपनी ज़मीन, अपना घर अपने होने का अर्थ #निर्मला_पुतुल.
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