अपने स्वार्थ में अंधा हर शख्स हैं । अब किसी शख्स कि शख्सीयती दिखती नहीं है, लोगो कि चेहरो की मुस्कान फरेब हैं न फसना इस माया जाल मे मैं सच कहु या झूठ अब इंस.
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