अब ये दिया बुझने को आया है, टिमटिमाती लौ को, जरा हांथों से,सहारा देते। रास्ता देख, आँखें थक चुकी हैं। इन रुखी सी आँखों में, इंतजार..... अभी कुछ बाकि है।.
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