आज नहीं अभी नहीं,
वह कल आता,कभी नहीं,
सोच सोच के दिन हम यूं ही गंवाए,
जी लो,इससे पहले,
जिंदगी थम सी जाए।
जो तुम्हें खुशी दे, खुद को,
वह करने से रोकना नहीं,
यह दुनिया क्या कहेगी,
तुम यह सब सोचना नहीं,
छोटी सी जिंदगी हमारी सोचने में क्यों बिताएं,
जी लो,इससे पहले जिंदगी थम सी जाए।
हम सभी मुसाफिर हैं,
जिंदगी के इस नगर में,
किसी के चेहरे की मुस्कुराहट बनना,
हो सके तो इस सफर में,
जाने अगला लम्हा उनकी दुआ से खास हो जाए,
जी लो, इससे पहले जिंदगी थम सी जाए।।
दीपाली कालरा
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2 वर्ष पहले
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©Simran Koli
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