ख्वाहिशें के पर तू धीरे धीरे खोलता चल अम्बर तक उड़ते जाना है मंजिल अपने तक बढ़ता चल।। ©isha rajput आप सभी के प्रेम से आज अपनी कुछ रचनाएं पुस्तक स्वरुप देखन.
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