चाहता तो मैं भी बह सकता था, इस जहाँ में सैकड़ो बा
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#शायरी  
चाहता तो मैं भी बह सकता था, इस जहाँ में सैकड़ो बालाओं की है धार। 
मैं कर के कोशिश  भी न कर सका अपनी चाहत का इजहार। 
मैं कूद गया अपनी बर्बादी के समंदर में पर अफसोस तुमसे एक दहलीज तक न हुई पार। 

कोई नही दोष मेरा ही है जो तुमसे कर बैठा एकतरफ़ा प्यार।। 
तुम्हे बेवफा कहना या जलील करना मेरा इरादा नही।।
 
मिल जाऐंगे इस हसीन दुनिया में तुम्हे चाहने वाले पर मेरी कितनी बेपनाह मुहब्बत है तुमसे  इसका शायद तुम्हे अंदाज़ा नहीं।। 

 ----neel kamal

©Neel

चाहता तो मैं भी बह सकता था, इस जहाँ में सैकड़ो बालाओं की है धार। मैं कर के कोशिश भी न कर सका अपनी चाहत का इजहार। मैं कूद गया अपनी बर्बादी के समंदर में पर अफसोस तुमसे एक दहलीज तक न हुई पार। कोई नही दोष मेरा ही है जो तुमसे कर बैठा एकतरफ़ा प्यार।। तुम्हे बेवफा कहना या जलील करना मेरा इरादा नही।। मिल जाऐंगे इस हसीन दुनिया में तुम्हे चाहने वाले पर मेरी कितनी बेपनाह मुहब्बत है तुमसे इसका शायद तुम्हे अंदाज़ा नहीं।। ----neel kamal ©Neel

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