रात भर असंख्य तरो के बीच बैठा वो चांद मुझे निहारता
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#शायरी #hindipoetry #sayari #Hindi  रात भर असंख्य तारों के बीच  बैठा वो चांद मुझे निहारता रहा ।
अपनी चुप्पी में ही मुझसे कुछ बतियाते रहा।
उस रात की बात याद है मुझे, मैंने सुना उसे जो कहा उसने,
महसूस तो बादलों ने भी किया , मगर फुरसत कहां थीं उसे,
वो तो हवाओं के संग अठखेलियों में मसरूफ़ रहा।

साथ तो जुगनुओ ने भी ना दिया था, 
रात भर वो चांद खामोश लब्जो से कुछ कहता रहा।
यकीं दिलाऊं भी तो कैसे ,
उस रात का गवाह तो बस तन्हाई ही रहा।

©shatakshi bhardwaj

चांद और मै। #sayari #Nojoto #Hindi #hindipoetry

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