मैंने अपनी ख्वाहिशों के पर खोल दिये हैं, जो कहना था उससे मैंने बोल दिए हैं। अपना वजूद अब कुछ भी नहीं रहा , मैंने उसकी चाहत में खुद को तोल दिए हैं। ©R.S.Maurya.
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