आशीष दो हे भारती कर्तव्य पथ पर हम रहे। जो भी मिले हमको यहाँ, सब मुस्कुराकर हम सहे। लाखों निराशाएँ यहाँ आकर है हमको घेरती। जितनी भी है खुशियाँ सभी, .
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