महानगरों की सड़कों से कुछ शेर
खेलते नहीं, उनसे,उनको बेचते बेचारे बच्चे
ये लाल बत्तियों पर बेचते फूल गुब्बारे बच्चे
कागज काले करनेकी उम्र में साफ करते कारें
ये किस मुल्क किस कौम के हैं ये प्यारे बच्चे
अंदर कारों के IVF को जाती बांझ दुखी औरतें
और बाहर सिग्नलों पर ही पैदा इतने सारे बच्चे
न सर्दी, लू, न धुआं धूल हर बला बेअसर इनपर
ये बदलते हर मौसम में बीमार हमारे तुम्हारे बच्चे
हमारे नासमझ, और ये पालें नशेड़ी बापो को
ये मेहनत, जिम्मेदारी के गजब इदारे बच्चे
पुलिस है सिग्नल पर खुदा नदारद है यहां
ये जाने फिर हैं पलते किसके सहारे बच्चे
©triwal
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