बचपन का वो दिन एक रोज़ फिर सजोना चाहता हु
में एक ब
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 बचपन का वो दिन एक रोज़ फिर सजोना चाहता हु
में एक बार फिर मां की गोद में सोना चाहता हु।
ना होती थी झिझक ना छुपाना पड़ता था रोना
ना फिक्र थी उससे दूर जाने की ना सोचा कभी उसको खोना
में नन्हे कदमों से उस तक फिर जाना चाहता हु
में एक बार फिर मां की गोद में सोना चाहता हु।
ना लगाना पड़ता था बिस्तर ना खुद था खाना खाना
हो कोई भी छोटी या बड़ी परेशानी बस पड़ता था मां को बताना
वो नींद भरी लोरियों में फिर एक बार खोना चाहता हूं
में एक बार फिर बस एक बार फिर मां की गोद में सोना चाहता हु।

©BABA RJ

में एक बार फिर मां की गोद में सोना चाहता हूं।

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बचपन का वो दिन एक रोज़ फिर सजोना चाहता हु में एक बार फिर मां की गोद में सोना चाहता हु। ना होती थी झिझक ना छुपाना पड़ता था रोना ना फिक्र थी उससे दूर जाने की ना सोचा कभी उसको खोना में नन्हे कदमों से उस तक फिर जाना चाहता हु में एक बार फिर मां की गोद में सोना चाहता हु। ना लगाना पड़ता था बिस्तर ना खुद था खाना खाना हो कोई भी छोटी या बड़ी परेशानी बस पड़ता था मां को बताना वो नींद भरी लोरियों में फिर एक बार खोना चाहता हूं में एक बार फिर बस एक बार फिर मां की गोद में सोना चाहता हु। ©BABA RJ

 बचपन का वो दिन एक रोज़ फिर सजोना चाहता हु
में एक बार फिर मां की गोद में सोना चाहता हु।
ना होती थी झिझक ना छुपाना पड़ता था रोना
ना फिक्र थी उससे दूर जाने की ना सोचा कभी उसको खोना
में नन्हे कदमों से उस तक फिर जाना चाहता हु
में एक बार फिर मां की गोद में सोना चाहता हु।
ना लगाना पड़ता था बिस्तर ना खुद था खाना खाना
हो कोई भी छोटी या बड़ी परेशानी बस पड़ता था मां को बताना
वो नींद भरी लोरियों में फिर एक बार खोना चाहता हूं
में एक बार फिर बस एक बार फिर मां की गोद में सोना चाहता हु।

©BABA RJ

में मां की गोद में एक बार फिर सोना चाहता हूं।

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