कैसी ये गलती हैं..
कैसी ये गलती है?
दिल की ना चलती हैं!
तुम ही बताओ अब,
मेरी धड़कन क्यूं मचलती हैं?
पास जाे आऊँ तेरे ,
तुझमें खाे जाता हूं।
दिवानाें सा मैं तुझकाे,
देखता रह जाता हूं।।
फिर जब तुम हंसती हाे,
आहिस्ता से कुछ कहती हाे।
कहती हाे बाते सारी अपनी,
इश्क से ना जाने क्यूं डरती हाे?
भराेसा है ना तुमकाे मुझपर,
ये ताे बता दाे जरा मुझकाे!
एक दफ़ा , बस एक दफ़ा,
मुझसे दिल लगा लाे जरा।।
ओ यारा , ओ यारा , ओ यारा,
तू ही है इश्क हमारा, हमारा..
मैं दिल पे तुझपे हारा , हारा..
इस दिल ने ये गलती कर बैठी है..
कैसी ये गलती है?
दिल की ना चलती हैं!
तुम ही बताओ अब,
मेरी धड़कन क्यूं मचलती हैं?
....राैशन
©Hindi kavita BY Raushan kashyap
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