ख्वाबों से मनसूब बाते अब कहीं बतानी नहीं हाशिए, तजलिल-ए-हाट खुद से सजानी नहीं हम गिरते है ,उठते है ,हंसते है फिर चलते है जिंदगी बस चंद दर्द लम्हों की कहानी नह.
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