बिन तेरे मेरी सुबह की नींद नही खुलती बिन तेरे मेरी सुबह में वो चाशनी नही घुलती न जाने ये कैसा नाश हो गया है तेरा अकेली मैं ही नही सारा जमाना आशिक़ हो गया है तेर.
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