ख्वाब में कल रात राब्ता मेरे और मुंशी जी के दरम्यान हुआ।।
बोले सौ साल पहले के होरी जैसा क्यों आज का किसान हुआ।।
आज अपनी ही हुकूमत है अपना ही निजाम है बेहतर हालात हैं,
फिर भी क्यों नये हिंद में मजदूर किसान इतना परेशान हुआ।।
अब भी खुदकुशी करे कर्ज की वजह से ये खेती करने वाला,
वो मुफलिस ही रहा क्यों आज तक क्यों ऐसे हलकान हुआ ।
वो सडक़ पर क्यों निकला दिल्ली की तरफ इंकलाबी तेवर में ,
उसकी बाबत गांव रवाना क्यों नहीं कोई सियासतदान हुआ ।
सुना है कुछ तो जान गवां चुके हैं अपनी इस जद्दोजहद में,
इस हाल पर अब तक संजीदा क्यों नहीं हुक्मरान हुआ।
उनके किसी सवाल का जवाब ही नहीं दिया गया मुझसे,
बस मेरी आखें नम हुईं गला रुंधा और मैं बेजुबान हुआ।
©भारद्वाज
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